भास्कर पड़ताल / तीस हजारी कोर्ट परिसर में रोजाना आते हैं 5 हजार वाहन, पार्किंग 1000 से भी कम

नई दिल्ली (आनंद पवार). दिल्ली से निकलकर राष्ट्रीय सुर्खी बनने वाला पुलिस-वकील विवाद जिस मामूली कहासुनी से शुरू हुआ वह तीस हजारी कोर्ट पार्किंग को लेकर हुई थी। ऐसे में भास्कर ने तीस हजारी कोर्ट में पार्किंग व्यवस्था को लेकर पड़ताल की। पता चला कि कोर्ट परिसर में पार्किंग के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यहां करीब 15 हजार वकीलों को मिलाकर रोज करीब 40 हजार से ज्यादा लोगों का आना-जाना होता है।


करीब 5 हजार से ज्यादा वाहन परिसर में रोज आते हैं, लेकिन 1000 वाहनों के लिए भी पार्किंग की सुविधा नहीं है। ऐसे में लोग कोर्ट परिसर के बाहर सड़क किनारे वाहन खड़े करते हैं। इनसे जाम लग जाता है। मेट्रो स्टेशन के बाहर आने के बाद गेट के पास आम लोगों के लिए पेड पार्किंग है। यहां सिर्फ 50 कारें खड़ी करने की जगह है। इसके आगे वेस्टर्न विंग में वकीलों के लिए पार्किंग बनी है। इसमें करीब 600 कारें एकसाथ खड़ी करने की जगह है। वहीं, सिविल विंग में खाली जगह में वकील अपने वाहन खड़े करते है। यहां पर 100 कारें खड़ी होने की जगह है। बहुत से वकील अपने चैंबर के बाहर और परिसर में सड़क पर वाहनों को खड़ा करते है। जजों के लिए पार्किंग की जगह अलग है। बता दें कि तीस हजारी कोर्ट को देश का सबसे बड़ा और पुराना कोर्ट कॉम्पलेक्स माना जाता है।


बजट कम कर दोबारा दिया था प्रस्ताव


तीस हजारी कोर्ट परिसर को नया रूप देने के लिए 2 साल से प्रस्ताव कागजों से बाहर नहीं आ पाया है। वर्ष 2016 में नई बिल्डिंग बनाने की कवायद शुरू हुई। वर्ष 2017 में 5200 करोड़ रुपए से 20 मंजिला चार ब्लॉक और 7 हजार वाहनों की मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव बनाया गया। लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों ने ही बजट ज्यादा बता दिया। अप्रैल, 2019 में दोबारा बजट कम करके 2460 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाया और पास करने के लिए भेजा गया। लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 20 मंजिला 4 अलग-अलग ब्लॉक बनने हैं। हर ब्लॉक में दो बेसमेंट, वकीलों के चैंबर, कोर्ट रूम बनाए जाने हैं। उन्होंने बताया कि पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा नहीं जाएगा।


तीस हजारी कोर्ट: 7 हजार मुकदमों की रोज सुनवाई



  • 125 कोर्ट रूम हैं, इनमें 5 से 7 हजार मुकदमों की रोज सुनवाई होती है

  • 5000 चैंबर हैं वकीलों के कोर्ट परिसर में 

  • 15 हजार वकील अदालत में 

  • 1953 में बनना शुरू हुई।

  • 1958 में बिल्डिंग का उद्घाटन



यहां पर पार्किंग बड़ी समस्या है। इसके लिए सरकार को कई बार लिखा गया। हम लंबे समय से सुन रहे हैं कि नए सिरे से निर्माण होना है, लेकिन अब तक कुछ होता दिख नहीं रहा है। - संजीव नसीयर, पूर्व प्रेसिडेंट, दिल्ली बार एसोसिएशन